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स्थूलपदानि निर्दिष्टलकारे परिवर्तयत- (क) तस्य पुत्रस्य नाम सिद्धार्थ: आसीत् I ( लट्लकारे) (ख) ऋषि: राजभवनं आगच्छत् I ( लृट् लकारे ) (ग) बाल: नृप: भविष्यति I ( लङ् लकारे ) (घ) राजा सारथिना सह अगच्छत् I ( लोट् लकारे )

Sagot :

क्रिया के मूल रूप को धातु (Root) कहते हैं। विभिन्न काल तथा अवस्थाओं में, तीनों पुरुषों तथा तीनों वचनों में धातु के साथ तिङ् प्रत्ययों को जोड़ा जाता है। समस्त धातुओं को दस गणों (Classes) में बाँटा गया है तथा इन गणों के पृथक्-पृथक चिह्न (विकरण) होते हैं, जिनको तिङ् प्रत्यय से पूर्व धातु में लगाया जाता है। इन गणों के नाम तथा चिहन निम्नलिखित हैं –

CBSE Class 11 Sanskrit धातुरूपाणि 1

लकार – विभिन्न कालों तथा अवस्थाओं को लकार कहा जाता है। संस्कृत में कुल ग्यारह लकार हात हैं जिनमें से पाँच लकार ही हमारे पाठ्यक्रम में निर्धारित हैं।

(क) लट् लकार (वर्तमान काल, Present Tense) – भवति इत्यादि।

(ख) लङ् लकार (भूतकाल, Past Tense) – अभवत् इत्यादि।

(ग) लृट् लकार (भविष्यत् काल, Future Tense) – भविष्यति इत्यादि।

(घ) लोट् लकार (आज्ञादि, Imperative Mood) – भवतु इत्यादि।

(ङ) विधिलिङ् लकार (विध्यादि, Potential Mood) – भवेत् इत्यादि।

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